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मंगळवार, १ जून, २०२१

६/०१/२०२१

9.अनमोल वाणी / 8 वी/ हिंदी


9.अनमोल वाणी / 8 वी/ हिंदी

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणों के  लिए  प्रश्न १० है | 


  वाणी में शहद..

                       टोकना सीख लीजे। हे मानव, अपनी वाणी में शहद जैसी मिठास घोलना सीखो। अर्थात मधुरभाषी बनो। तुम दूसरों से मीठे शब्दों में बात करो। जब भी बोलो, प्यार से बोलो। जब आवश्यकता के जभी बोलो। अनेक अवसरों पर आवश्यकता नहीं होती, तब भी हम सलाह-मशवरा दिया करते हैं। दोस्तों, के अनेक लाभ हैं। (ऊर्जा बचती है। समय बचता है। उस चुप रहने ऊर्जा और समय को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।) किसी को कुछ कहने से पहले अपनी बात पर विचार करना और फिर बोलना सीखो। बोलने से पहले अपने शब्दों को तौलने की आदत बनाओ। ऐसा न हो कि आपकी बातें सामने वाले को दुख पहुँचाएँ। (तलवार से हुआ घाव देर-सवेर भर ही जाता है, किंतु कटु वाणी से हुआ घाव कभी नहीं भरता। समय-असमय हमें याद आ- मार्मिक पीड़ा पहुँचाया करता है।) इसलिए यदि बातचीत के दौरान वैचारिक मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति उत्पन्न हो तो अपने आप को टोककर चुप रहना सीखो।

६/०१/२०२१

8.पूर्ण विश्राम / 8 वी/ हिंदी


 8.पूर्ण विश्राम / 8 वी/ हिंदी

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणों के  लिए  प्रश्न १० है | 


नम्र व्हा...

                           नम्र असणे हे कमकुवतपणाचे नव्हे, तर मोठेपणाचे लक्षण आहे. आज जगात गोंधळ करणारे नेतेच मोठे आहेत, पण ते महान नाहीत. महात्मा गांधी, मार्टिन ल्यूथर किंग ज्युनियर महान नेते होते, ते नम्र होते. आपण ही त्यांचा आदर्श घ्यावा .


१) 👨👩 एकांतात वेळ घालवा... सुसेन केन नावाच्या लेखिकेने 'क्वाइट: द पॉवर ऑफ इंट्रोव्हर्ट' हे सुंदर पुस्तक लिहिले आहे. त्या म्हणतात की, बहिर्मुख लोक बाहेरील लोकांकडून ऊर्जा मिळवतात, तर अंतर्मुख लोक एकांतात ऊर्जावान असतात. याचा नियमित सराव करण्याचा प्रयत्न करा .

२) 👦👧मन मोकळे करा... जिथे ९५% लोक चुकीच्या गोष्टींकडे धावतात अशा जगात आपण राहत आहोत. 'मन मोकळे होईपर्यंत आपण आपले मन मोडले पाहिजे', असे रुमी म्हणत असत. यातूनच नम्रता प्राप्त होऊ शकते. यासाठी आपल्याजवळ चांगले विश्वासु मित्र हवेत . अशी मैत्री जपा.

३)  सराव करा... नम्र होण्याचाही सराव करू शकता. तुम्ही दिवसातून किती वेळा 'मी-माझे' करता याचे आठवडाभर निरीक्षण करा. स्वतःच्या कल्पना महत्त्वाकांक्षांचा प्रचार करत असाल तर तुम्ही असुरक्षित आहात. ते आपण टाळले पाहिजे .या गोष्टीचा नियमित सराव करण आपल्यासाठी निश्चितच फायदेशीर ठरेल . सर्व विद्यार्थी मित्रांनी याचा रोज सराव करण्याचा प्रयत्न करावा .
६/०१/२०२१

7.मेरे रजा साहब/ 8 वी/ हिंदी

 

7.मेरे रजा साहब/ 8 वी/ हिंदी

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणों के  लिए  प्रश्न १० है | 

नम्र व्हा...





                                 नम्र असणे हे कमकुवतपणाचे नव्हे, तर मोठेपणाचे लक्षण आहे. आज जगात गोंधळ करणारे नेतेच मोठे आहेत, पण ते महान नाहीत. महात्मा गांधी, मार्टिन ल्यूथर किंग ज्युनियर महान नेते होते, ते नम्र होते. आपण ही त्यांचा आदर्श घ्यावा .


१) 👨👩 एकांतात वेळ घालवा... सुसेन केन नावाच्या लेखिकेने 'क्वाइट: द पॉवर ऑफ इंट्रोव्हर्ट' हे सुंदर पुस्तक लिहिले आहे. त्या म्हणतात की, बहिर्मुख लोक बाहेरील लोकांकडून ऊर्जा मिळवतात, तर अंतर्मुख लोक एकांतात ऊर्जावान असतात. याचा नियमित सराव करण्याचा प्रयत्न करा .

२) 👦👧मन मोकळे करा... जिथे ९५% लोक चुकीच्या गोष्टींकडे धावतात अशा जगात आपण राहत आहोत. 'मन मोकळे होईपर्यंत आपण आपले मन मोडले पाहिजे', असे रुमी म्हणत असत. यातूनच नम्रता प्राप्त होऊ शकते. यासाठी आपल्याजवळ चांगले विश्वासु मित्र हवेत . अशी मैत्री जपा.

३)  सराव करा... नम्र होण्याचाही सराव करू शकता. तुम्ही दिवसातून किती वेळा 'मी-माझे' करता याचे आठवडाभर निरीक्षण करा. स्वतःच्या कल्पना महत्त्वाकांक्षांचा प्रचार करत असाल तर तुम्ही असुरक्षित आहात. ते आपण टाळले पाहिजे .या गोष्टीचा नियमित सराव करण आपल्यासाठी निश्चितच फायदेशीर ठरेल . सर्व विद्यार्थी मित्रांनी याचा रोज सराव करण्याचा प्रयत्न करावा .
६/०१/२०२१

6.जरा प्यार से बोलना सीख लीजे / 8 वी/ हिंदी

 

6.जरा प्यार से बोलना सीख लीजे / 8 वी/ हिंदी

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणों के  लिए  प्रश्न १० है | 

कविता का भावार्थ:


👉 वाणी में शहद..


                                                        टोकना सीख लीजे। हे मानव, अपनी वाणी में शहद जैसी मिठास घोलना सीखो। अर्थात मधुरभाषी बनो। तुम दूसरों से मीठे शब्दों में बात करो। जब भी बोलो, प्यार से बोलो। जब आवश्यकता के जभी बोलो। अनेक अवसरों पर आवश्यकता नहीं होती, तब भी हम सलाह-मशवरा दिया करते हैं। दोस्तों, के अनेक लाभ हैं। (ऊर्जा बचती है। समय बचता है। उस चुप रहने ऊर्जा और समय को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।) किसी को कुछ कहने से पहले अपनी बात पर विचार करना और फिर बोलना सीखो। बोलने से पहले अपने शब्दों को तौलने की आदत बनाओ। ऐसा न हो कि आपकी बातें सामने वाले को दुख पहुँचाएँ। (तलवार से हुआ घाव देर-सवेर भर ही जाता है, किंतु कटु वाणी से हुआ घाव कभी नहीं भरता। समय-असमय हमें याद आ- मार्मिक पीड़ा पहुँचाया करता है।) इसलिए यदि बातचीत के दौरान वैचारिक मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति उत्पन्न हो तो अपने आप को टोककर चुप रहना सीखो।😌


👉 पटाखे की तरह ...... खोलना सीख लीजे।


                                                            मित्र, किसी भी परिस्थिति में दूसरे पर क्रोध में फट पड़ने के स्थान पर प्यार का प्रकाश फैलाना कहीं उचित है, क्योंकि क्रोध की प्रतिक्रिया में क्रोध ही मिलेगा और बात हाथ से निकल जाएगी। यह तथ्य कभी नहीं भूलनी चाहिए कि कड़वी बोली हमेशा संबंध बिगाड़ती ही है।) कटु वचनों से काँटे ही मिलते हैं। कटु वचन ऐसे बीज हैं, जिनके फलस्वरूप काँटों रूपी फसल ही मिलती है। अतः कटु वचनों का त्याग करके मीठी बोली रूपी फूल के पौधे लगाओ। यदि बात करते-करते कोई ऐसा प्रसंग आ जाए कि किसी की बात आपको या आपकी बात दूसरों को चुभने लगे, तो बात को प्यार के मोड़ पर लाना सीखो, ताकि वातावरण की कटुता दूर हो जाए। पर साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमें अनुचित बात पर होंठ सीकर यानी चुप भी नहीं बैठना चाहिए। कहीं, कोई, किसी प्रकार का अन्याय कर रहा हो या अत्याचार हो रहा हो तो उस समय चुप रह जाना भी अन्याय ही होगा। हमें ऐसी परिस्थिति में डटकर जोरदार शब्दों में उसका विरोध करना चाहिए।😌



६/०१/२०२१

5.मधुबन / 8 वी/ हिंदी/टेस्ट-2

 

5.मधुबन / 8 वी/ हिंदी/टेस्ट-2

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

सुबह का समय था। मैं डॉक्टर रामकुमार वर्मा जी के प्रयाग स्टेशन स्थित निवास "मधुबन" की ओर पूरी रफ्तार से चला जा रहा था क्योंकि १० बजे उनसे मिलने का समय तय था।

                        वैसे तो मैंने डॉक्टर साहब को विभिन्न उत्सवों, संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों में देखा था- परंतु इतने निकट से मुलाकात करने का यह मेरा पहला अवसर था। मेरे दिमाग में विभिन्न विचारों का ज्वार उठ रहा था कैसे होंगे डॉक्टर साहब, कैसा व्यवहार होगा उस साहित्य मनीषी का, आदि । इन तमाम उठते और बैठते विचारों को लिए मैंने उनके निवास स्थान 'मधुबन' में प्रवेश किया। काफी साहस करके दरवाजे पर लगी घंटी बजाई । नौकर निकला और पूछ बैठा, “क्या आप अनुराग जी हैं ?" मैंने उत्तर में सिर्फ 'हाँ' कहा। उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और यह कहते हुए चला गया कि “डॉक्टर साहब आ रहे हैं।" इतने में डॉक्टर साहब आ गए । “अनुराग जी, कैसे आना हुआ ?" आते ही उन्होंने पूछा ।मैंने कहा, “डॉक्टर साहब, कुछ प्रसंग जो आपके जीवन से संबंधित हैं और उनसे आपको जो महत्त्वपूर्ण प्रेरणाएँ मिली हों उन्हीं की जानकारी हेतु आया था।”

                                डॉक्टर साहब ने बड़ी सरलता से कहा, 'अच्छा, तो फिर पूछिए।' प्रश्न : डॉक्टर साहब, काव्य-रचना की प्रेरणा आपको कहाँ से और कैसे प्राप्त हुई ? इस संदर्भ में कोई ऐसा प्रसंग बताने का कष्ट करें जिसने आपके जीवन के अंतरंग पहलुओं को महत्वपूर्ण मोड़ दिया हो।

                    उत्तर : पहले तो मेरे जीवन में समाज की अंध व्यवस्था के प्रति विद्रोह अपने आप ही उदित हुआ। स १९२१ में जब मैं केवल साढ़े पंद्रह वर्ष का था, गांधीजी के असहयोग आंदोलन में पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवधानों से संघर्ष करते हुए मैंने भाग लिया। उस समय स्कूल छोड़ने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती थी मगर मध्य प्रदेश के अंतर्गत नरसिंहपुर में मौलाना शौकत अली साहब आए और बोले,"गांधीजी ने कहा है कि अंग्रेजी की तालीम गुलाम बनाने का एक नुस्खा है ।” तत्पश्चात आवाज तेज करते हुए कहने लगे, “है कोई माई का लाल जो कह दे कि मैं कल से स्कूल जाऊँगा।" मैंने अपनी माँ के आगे बड़ी ही श्रद्धा से स्कूल न जाने की घोषणा कर दी । सभी लोग सकते में आ गए। इस पाठ का पूरा वचन करे |

६/०१/२०२१

5.मधुबन / 8 वी/ हिंदी/टेस्ट-1

 

5.मधुबन / 8 वी/ हिंदी/टेस्ट-1

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

                           सुबह का समय था। मैं डॉक्टर रामकुमार वर्मा जी के प्रयाग स्टेशन स्थित निवास "मधुबन" की ओर पूरी रफ्तार से चला जा रहा था क्योंकि १० बजे उनसे मिलने का समय तय था।

                        वैसे तो मैंने डॉक्टर साहब को विभिन्न उत्सवों, संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों में देखा था- परंतु इतने निकट से मुलाकात करने का यह मेरा पहला अवसर था। मेरे दिमाग में विभिन्न विचारों का ज्वार उठ रहा था कैसे होंगे डॉक्टर साहब, कैसा व्यवहार होगा उस साहित्य मनीषी का, आदि । इन तमाम उठते और बैठते विचारों को लिए मैंने उनके निवास स्थान 'मधुबन' में प्रवेश किया। काफी साहस करके दरवाजे पर लगी घंटी बजाई । नौकर निकला और पूछ बैठा, “क्या आप अनुराग जी हैं ?" मैंने उत्तर में सिर्फ 'हाँ' कहा। उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और यह कहते हुए चला गया कि “डॉक्टर साहब आ रहे हैं।" इतने में डॉक्टर साहब आ गए । “अनुराग जी, कैसे आना हुआ ?" आते ही उन्होंने पूछा ।मैंने कहा, “डॉक्टर साहब, कुछ प्रसंग जो आपके जीवन से संबंधित हैं और उनसे आपको जो महत्त्वपूर्ण प्रेरणाएँ मिली हों उन्हीं की जानकारी हेतु आया था।”

                                डॉक्टर साहब ने बड़ी सरलता से कहा, 'अच्छा, तो फिर पूछिए।' प्रश्न : डॉक्टर साहब, काव्य-रचना की प्रेरणा आपको कहाँ से और कैसे प्राप्त हुई ? इस संदर्भ में कोई ऐसा प्रसंग बताने का कष्ट करें जिसने आपके जीवन के अंतरंग पहलुओं को महत्वपूर्ण मोड़ दिया हो।

                    उत्तर : पहले तो मेरे जीवन में समाज की अंध व्यवस्था के प्रति विद्रोह अपने आप ही उदित हुआ। स १९२१ में जब मैं केवल साढ़े पंद्रह वर्ष का था, गांधीजी के असहयोग आंदोलन में पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवधानों से संघर्ष करते हुए मैंने भाग लिया। उस समय स्कूल छोड़ने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती थी मगर मध्य प्रदेश के अंतर्गत नरसिंहपुर में मौलाना शौकत अली साहब आए और बोले,"गांधीजी ने कहा है कि अंग्रेजी की तालीम गुलाम बनाने का एक नुस्खा है ।” तत्पश्चात आवाज तेज करते हुए कहने लगे, “है कोई माई का लाल जो कह दे कि मैं कल से स्कूल जाऊँगा।" मैंने अपनी माँ के आगे बड़ी ही श्रद्धा से स्कूल न जाने की घोषणा कर दी । सभी लोग सकते में आ गए। इस पाठ का पूरा वचन करे |

६/०१/२०२१

4.गाँव-शहर / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट-2


 4.गाँव-शहर / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट-2

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है |
 
६/०१/२०२१

4.गाँव-शहर / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट-1


 4.गाँव-शहर / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट-1

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 
६/०१/२०२१

3.नाखून क्यों बढ़ते हैं? / 8 वी/ हिंदी / टेस्ट-2

 

3.नाखून क्यों बढ़ते हैं? / 8 वी/ हिंदी / टेस्ट-2

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

आयफेल टॉवर

जागतिक कला संस्कृतीचे प्रतीक म्हणून ओळखले जाणारे व जगभरातून सर्वाधिक पर्यटक भेट देणारे ठिकाण म्हणजे पॅरिसचे आयफेल टॉवर. रॉट आयर्नपासून तयार केलेला हा मनोरा आधुनिक स्थापत्याचा अनोखा आविष्कार आहे. जवळपास ८१ मजली इमारतीएवढी याची उंची आहे. ४१ हा फोन वर्षे जगातील सर्वात उंच असण्याचा विक्रम रुपयांचे आयफेल टॉवरच्या नावावर आहे. ३१ मार्च १८८९ रोजी या टॉवरचे उद्घाटन झाले. 

                                            या टॉवरचा निर्माता आयफेल याने खरे तर या टॉवरची मुदत २० वर्षांची सांगितली होती. हे टॉवर पाडून टाकण्याची योजना १९०९ मध्ये तयार करण्यात आली होती. मात्र दळणवळणासाठी ते अत्यंत महत्त्वाचे ठिकाण असल्यामुळे त्याची मुदत संपूनही ते पाडले गेले नाही. आजही याची लोकप्रियता किंचितही कमी झालेली नाही.
६/०१/२०२१

3.नाखून क्यों बढ़ते हैं? / 8 वी/ हिंदी / टेस्ट-1

 

3.नाखून क्यों बढ़ते हैं? / 8 वी/ हिंदी / टेस्ट-1

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

 


आयफेल टॉवर

जागतिक कला संस्कृतीचे प्रतीक म्हणून ओळखले जाणारे व जगभरातून सर्वाधिक पर्यटक भेट देणारे ठिकाण म्हणजे पॅरिसचे आयफेल टॉवर. रॉट आयर्नपासून तयार केलेला हा मनोरा आधुनिक स्थापत्याचा अनोखा आविष्कार आहे. जवळपास ८१ मजली इमारतीएवढी याची उंची आहे. ४१ हा फोन वर्षे जगातील सर्वात उंच असण्याचा विक्रम रुपयांचे आयफेल टॉवरच्या नावावर आहे. ३१ मार्च १८८९ रोजी या टॉवरचे उद्घाटन झाले. 

                                            या टॉवरचा निर्माता आयफेल याने खरे तर या टॉवरची मुदत २० वर्षांची सांगितली होती. हे टॉवर पाडून टाकण्याची योजना १९०९ मध्ये तयार करण्यात आली होती. मात्र दळणवळणासाठी ते अत्यंत महत्त्वाचे ठिकाण असल्यामुळे त्याची मुदत संपूनही ते पाडले गेले नाही. आजही याची लोकप्रियता किंचितही कमी झालेली नाही.
६/०१/२०२१

2.वारिस कौन ? / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट -2

 

2.वारिस कौन ? / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट -2

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

 

                                             एक राजा था। उसके चार बेटियाँ थीं। राजा ने सोचा कि में से जो सबसे बुद्धिमती होगी, उसे ही अपना राजपाट सौंपेगा । इसका फैसला कैसे हो? वह सोचने लगा। अंत में उसे एक उपाय सूझ गया ।उसने एक दिन चारों बेटियों को अपने पास बुलाया। सभी को गेहूँ के सौ-सौ दाने दिए और कहा, "इसे तुम अपने पास रखो, पाँच साल बाद मैं जब इन्हें माँगूँगा तब तुम सब मुझे वापस कर देना।"

                                                गेहूँ के दाने लेकर चारों बहनें अपने-अपने कमरे में लौट आईं। बड़ी बहन ने उन दानों को खिड़की के बाहर फेंक दिया। उसने सोचा, 'आज से पाँच साल बाद पिता जी को गेहूँ के इन दानों की याद रहेगी क्या? और जो याद भी रहा तो क्या हुआ..., भंडार से लेकर दे दूँगी।' दूसरी बहन ने दानों को चाँदी की एक डिब्बी में डालकर उसे मखमल के थैले में बंद करके सुरक्षा से अपनी संदूकची में डाल दिया। सोचा, 'पाँच साल बाद जब पिता जी ये दाने माँगेंगे, तब उन्हें वापस कर दूंगी।'
                            तीसरी बहन बस सोचती रही कि इसका क्या करूँ । चौथी और लोटी बहन तनिक बच्ची थी। शरारतें करना उसे बहुत पसंद था। गेहूँ के भुने दाने भी बहुत पसंद थे। उसने दानों को भुनवाकर खा डाला और खेल में मग्न हो गई । तीसरी राजकुमारी को इस बात का यकीन था कि पिता जी ने उन्हें यूँ ही ये दाने नहीं दिए होंगे। जरूर इसके पीछे कोई मकसद होगा। पहले तो उसने भी अपनी दूसरी बहनों की तरह ही उन्हें सहेजकर रख देने की सोची, लेकिन वह ऐसा न कर सकी। दो-तीन दिनों तक वह सोचती रही, फिर उसने अपने कमरे की खिड़की के पीछेवाली जमीन में वे दाने बो दिए। समय पर अंकुर फूटे। पौधे तैयार हुए, दाने निकले। राजकुमारी ने तैयार फसल में से दाने निकाले और फिर से बो दिए। इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहूँ तैयार हो गया।
                                                            पाँच साल बाद राजा ने फिर चारों बहनों को बुलाया और कहा "आज से पाँच साल पहले मैंने तुम चारों को गेहूँ के सौ-सौ दाने दिए थे और कहा था कि पाँच साल बाद मुझे वापस करना । कहाँ हैं वे दाने ?” बड़ी राजकुमारी भंडार घर जाकर गेहूँ के दाने ले आई और राजा को दे दिए। राजा ने पूछा, "क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे ? "


६/०१/२०२१

2.वारिस कौन ? / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट -1

 

2.वारिस कौन ? / 8 वी/ हिंदी /टेस्ट -1

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है | 

                                                      एक राजा था। उसके चार बेटियाँ थीं। राजा ने सोचा कि में से जो सबसे बुद्धिमती होगी, उसे ही अपना राजपाट सौंपेगा । इसका फैसला कैसे हो? वह सोचने लगा। अंत में उसे एक उपाय सूझ गया ।उसने एक दिन चारों बेटियों को अपने पास बुलाया। सभी को गेहूँ के सौ-सौ दाने दिए और कहा, "इसे तुम अपने पास रखो, पाँच साल बाद मैं जब इन्हें माँगूँगा तब तुम सब मुझे वापस कर देना।"

                                                गेहूँ के दाने लेकर चारों बहनें अपने-अपने कमरे में लौट आईं। बड़ी बहन ने उन दानों को खिड़की के बाहर फेंक दिया। उसने सोचा, 'आज से पाँच साल बाद पिता जी को गेहूँ के इन दानों की याद रहेगी क्या? और जो याद भी रहा तो क्या हुआ..., भंडार से लेकर दे दूँगी।' दूसरी बहन ने दानों को चाँदी की एक डिब्बी में डालकर उसे मखमल के थैले में बंद करके सुरक्षा से अपनी संदूकची में डाल दिया। सोचा, 'पाँच साल बाद जब पिता जी ये दाने माँगेंगे, तब उन्हें वापस कर दूंगी।'
                            तीसरी बहन बस सोचती रही कि इसका क्या करूँ । चौथी और लोटी बहन तनिक बच्ची थी। शरारतें करना उसे बहुत पसंद था। गेहूँ के भुने दाने भी बहुत पसंद थे। उसने दानों को भुनवाकर खा डाला और खेल में मग्न हो गई । तीसरी राजकुमारी को इस बात का यकीन था कि पिता जी ने उन्हें यूँ ही ये दाने नहीं दिए होंगे। जरूर इसके पीछे कोई मकसद होगा। पहले तो उसने भी अपनी दूसरी बहनों की तरह ही उन्हें सहेजकर रख देने की सोची, लेकिन वह ऐसा न कर सकी। दो-तीन दिनों तक वह सोचती रही, फिर उसने अपने कमरे की खिड़की के पीछेवाली जमीन में वे दाने बो दिए। समय पर अंकुर फूटे। पौधे तैयार हुए, दाने निकले। राजकुमारी ने तैयार फसल में से दाने निकाले और फिर से बो दिए। इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहूँ तैयार हो गया।
                                                            पाँच साल बाद राजा ने फिर चारों बहनों को बुलाया और कहा "आज से पाँच साल पहले मैंने तुम चारों को गेहूँ के सौ-सौ दाने दिए थे और कहा था कि पाँच साल बाद मुझे वापस करना । कहाँ हैं वे दाने ?” बड़ी राजकुमारी भंडार घर जाकर गेहूँ के दाने ले आई और राजा को दे दिए। राजा ने पूछा, "क्या ये वही दाने हैं जो मैंने तुम्हें दिए थे ? "

६/०१/२०२१

1. हे मातृभूमि ! / 8 वी/ हिंदी


1. हे मातृभूमि ! / 8 वी/ हिंदी

इस पाठ का/ कविता का अच्छे से पठन/ अध्ययन करे और टेस्ट को हल कीजिए | टेस्ट मनोरंजक है सबको जरुर पसंद आएगी | कुल २० गुणोंके  लिए  प्रश्न १० है |