5.मधुबन / 8 वी/ हिंदी/टेस्ट-1
सुबह का समय था। मैं डॉक्टर रामकुमार वर्मा जी के प्रयाग स्टेशन स्थित निवास "मधुबन" की ओर पूरी रफ्तार से चला जा रहा था क्योंकि १० बजे उनसे मिलने का समय तय था।
वैसे तो मैंने डॉक्टर साहब को विभिन्न उत्सवों, संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों में देखा था- परंतु इतने निकट से मुलाकात करने का यह मेरा पहला अवसर था। मेरे दिमाग में विभिन्न विचारों का ज्वार उठ रहा था कैसे होंगे डॉक्टर साहब, कैसा व्यवहार होगा उस साहित्य मनीषी का, आदि । इन तमाम उठते और बैठते विचारों को लिए मैंने उनके निवास स्थान 'मधुबन' में प्रवेश किया। काफी साहस करके दरवाजे पर लगी घंटी बजाई । नौकर निकला और पूछ बैठा, “क्या आप अनुराग जी हैं ?" मैंने उत्तर में सिर्फ 'हाँ' कहा। उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और यह कहते हुए चला गया कि “डॉक्टर साहब आ रहे हैं।" इतने में डॉक्टर साहब आ गए । “अनुराग जी, कैसे आना हुआ ?" आते ही उन्होंने पूछा ।मैंने कहा, “डॉक्टर साहब, कुछ प्रसंग जो आपके जीवन से संबंधित हैं और उनसे आपको जो महत्त्वपूर्ण प्रेरणाएँ मिली हों उन्हीं की जानकारी हेतु आया था।”
उत्तर : पहले तो मेरे जीवन में समाज की अंध व्यवस्था के प्रति विद्रोह अपने आप ही उदित हुआ। स १९२१ में जब मैं केवल साढ़े पंद्रह वर्ष का था, गांधीजी के असहयोग आंदोलन में पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवधानों से संघर्ष करते हुए मैंने भाग लिया। उस समय स्कूल छोड़ने की बात तो सोची भी नहीं जा सकती थी मगर मध्य प्रदेश के अंतर्गत नरसिंहपुर में मौलाना शौकत अली साहब आए और बोले,"गांधीजी ने कहा है कि अंग्रेजी की तालीम गुलाम बनाने का एक नुस्खा है ।” तत्पश्चात आवाज तेज करते हुए कहने लगे, “है कोई माई का लाल जो कह दे कि मैं कल से स्कूल जाऊँगा।" मैंने अपनी माँ के आगे बड़ी ही श्रद्धा से स्कूल न जाने की घोषणा कर दी । सभी लोग सकते में आ गए। इस पाठ का पूरा वचन करे |