देशभक्ती गीते
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ
हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलसिताँ हमारा
पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का,
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ,
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ
हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है, हिन्दोस्ताँ हमारा।
गुरबत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में,
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा, वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।
यूनान, मिस्र, रोमाँ , सब मिट गए जहाँ
से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।
कुछ बात है की हस्ती, मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा।
'इक़बाल' कोई महरम , अपना नहीं जहाँ में,
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।
मेरा रंग दे बसंती चोला
मेरा रंग दे बसंती चोला, माए रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला ।
दम निकले इस देश की खातिर बस
इतना अरमान है।
एक बार इस राह में मरना सौ
जन्मों के समान है
देख के वीरों की कुर्बानी अपना
दिल भी बोला
मेरा रंग दे बसंती चोला ।
जिस चोले को पहन शिवाजी खेले
अपनी जान पे
जिसे पहन झाँसी की रानी मिट गई
अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला हम
मस्तों का टोला
मेरा रंग दे बसंती चोला ।
कदम कदम बढ़ाये जा - I
कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा,
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पर लुटाये जा।
तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर भी तू ना डर,
उड़ा के दुश्मनों का सर, जोश-ए-वतन बढ़ाये जा ।
हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, ख़ुदा तेरी सुनता रहे,
जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा ।
चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशाँ सम्भाल के,
लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा।
कदम कदम बढ़ाये जा - II
कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पर लुटाये जा
तेरे लिए तेरे वतन की ख़ाक
बेक़रार है।
हिमालय की चोटियों को तेरा
इंतज़ार है
वतन से दूर है मग़र वतन के गीत
गाए जा ।
बड़ा कठिन सफ़र है ये बड़े कठिन
हैं रास्ते
मग़र ये मुश्किलें हैं क्या
सिपाहियों के वास्ते
तू बिजलियों से खेल, आँधियों पे मुस्कुराए जा।
बिछड़ रहा है तुझसे तेरा भाई तो
बिछड़ने दे
नसीब क़ौम का बने तो अपना घर
उजड़ने दे
मिटा
के अपना एक घर, हज़ार घर बसाए जा।
