देशभक्ती गीते
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल
के,
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल
के,
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को
टाल के,
सदियों के बाद फिर उड़े बादल
गुलाल के।
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती
निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के।
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत
विशाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के ।
देखो कहीं बरबाद ना होवे ये
बग़ीचा,
इसको हृदय के ख़ून से बापू ने
है सींचा ।
रखा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल
के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के।
दुनिया के दाँव-पेंच से रखना ना
वास्ता,
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा
है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे
में डाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के ।
ऐटम बमों के ज़ोर पे ऐंठी है ये
दुनिया,
बारूद के एक ढेर पे बैठी है ये
दुनिया,
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल
के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के ।
आराम की तुम भूल-भुलइया में ना भूलो,
सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के
ना झूलो।
अब वक़्त आ गया मेरे हँसते हुए
फूलों,
उठो छलाँग मार के आकाश को छू
लो।
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा
उछाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों
सँभाल के।
देशभक्ती गीते / इन्साफ़
की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के ।
दुनिया के रंज सहना और कुछ न
मुँह से कहना,
सच्चाइयों के बल पे आगे को
बढ़ते रहना,
रख दोगे एक दिन तुम संसार को
बदल के ।
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के।
अपने हों या पराये, सबके लिये हो न्याय,
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न
डगमगाए,
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना सँभल सँभल के।
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के ।
इन्सानियत के सर पे इज़्ज़त का
ताज रखना,
तन-मन की भेंट दे कर भारत की
लाज रखना,
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में
जल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के,
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के ।
देशभक्ती गीते / ऐ
मेरे वतन के लोगों
ऐ मेरे वतन के लोगों,
तुम खूब लगा लो नारा,
ये शुभ दिन है हम सबका,
लहरा लो तिरंगा प्यारा।
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने हैं प्राण गँवाए,
कुछ याद उन्हें भी कर लो,
जो लौट के घर न आए।
ऐ मेरे वतन के लोगों,
ज़रा आँख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी।
तुम भूल न जाओ उनको
इसलिए सुनो ये कहानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी ।
जब घायल हुआ हिमालय,
ख़तरे में पड़ी आज़ादी,
जब तक थी साँस लड़े वो,
फिर अपनी लाश बिछा दी।
संगीन पे धर कर माथा
सो गए अमर बलिदानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी ।
जब देश में थी दिवाली,
वो खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरों में,
वो झेल रहे थे गोली।
थे धन्य जवान वो अपने,
थी धन्य वो उनकी जवानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी ।
कोई सिख, कोई जाट, मराठा,
कोई गुरखा, कोई मदरासी,
सरहद पर मरने वाला
हर वीर था भारतवासी।
जो ख़ून गिरा पर्वत पर,
वो ख़ून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी।
थी ख़ून से लथपथ काया,
फिर भी बंदूक उठा के,
दस-दस को एक ने मारा,
फिर गिर गए होश गँवा के ।
जब अंत समय आया तो
कह गए कि अब मरते हैं,
खुश रहना देश के प्यारों,
अब हम तो सफ़र करते हैं।
क्या लोग थे वो दीवाने,
क्या लोग थे वो अभिमानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी ।
तुम भूल न जाओ उनको
इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी।
जय हिंद, जय हिंद की सेना |
जय हिंद, जय हिंद की सेना |
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद।
