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शुक्रवार, २० ऑगस्ट, २०२१

देशभक्ती गीते -1

 देशभक्ती गीते 

 वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो ।

पुकारते हैं ये ज़मीन-ओ-आसमाँ शहीद हो ।

शहीद तेरी मौत ही तेरे वतन की जिंदगी,

तेरे लहू से जाग उठेगी इस चमन की ज़िंदगी,

खिलेंगे फूल उस जगह पे तू जहाँ शहीद हो,

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो ।

गुलाम उठ वतन के दुश्मनों से इंतक़ाम ले,

इन अपने दोनों बाज़ुओं से खंजरों का काम ले,

चमन के वास्ते चमन के बाग़बाँ शहीद हो,

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो ।

पहाड़ तक भी काँपने लगें तेरे जुनून से,

तू आसमाँ पे इन्क़लाब लिख दे अपने ख़ून से,

ज़मीं नहीं तेरा वतन है आसमाँ शहीद हो,

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो ।

वतन की लाज जिसको थी अज़ीज़ अपनी जान से,

वो नौजवान जा रहा है आज कितनी शान से,

इस एक जवाँ की खाक़ पर हर एक जवाँ शहीद हो,

वतन की राह में वतन के नौजवाँ शहीद हो ।

 

 

देशभक्ती गीते / आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की

 

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की,

 इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की ।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

 

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है,

दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट् है,

जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है,

बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है।

देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

 वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

 

है अपना राजपुताना नाज़ इसे तलवारों पे,

इसने सारा जीवन काटा बरछी, तीर, कटारों पे,

 ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे,

कूद पड़ी थीं यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे।

बोल रही है कण-कण से कुरबानी राजस्थान की,

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

 

देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था,

मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था,

हर पर्वत पे आग जली थी हर पत्थर एक शोला था,

बोली हर-हर महादेव की `बच्चा-बच्चा बोला था।

शेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की,

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की ।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

 

जलियाँवाला बाग ये देखो यहीं चली थी गोलियाँ,

ये मत पूछो किसने खेली यहाँ ख़ून की होलियाँ,

एक तरफ़ बंदूकें दन-दन एक तरफ़ थी टोलियाँ,

मरनेवाले बोल रहे थे इन्क़लाब की बोलियाँ।

यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाज़ी अपनी जान की,

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की ।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है,

यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है,

ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है,

मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है ।

जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की,

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।

 

 

देशभक्ती गीते

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

आँधी में भी जलती रही गाँधी तेरी मशाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

 

धरती पे लड़ी तूने अजब ढब की लड़ाई,

दाग़ी न कहीं तोप न बंदूक चलाई,

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई,

वाह रे फ़कीर ख़ूब करामात दिखाई।

चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

रघुपति राघव राजा राम ।

 

शतरंज बिछा कर यहाँ बैठा था ज़माना,

लगता था कि मुश्किल है फ़िरंगी को हराना,

टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना,

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना ।

मारा वो कस के दाँव कि उलटी सभी की चाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

रघुपति राघव राजा राम ।।

 

जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े,

मज़दूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े,

हिंदू व मुसलमान, सिख, पठान चल पड़े,

कदमों पे तेरे कोटि कोटि प्राण चल पड़े।

फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

रघुपति राघव राजा राम ।

 

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी,

लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी,

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी,

लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी।

दुनिया में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

रघुपति राघव राजा राम ।

 

जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया,

तूने वतन की राह पे सब कुछ लुटा दिया,

माँगा न कोई तख्त न तो ताज ही लिया,

अमृत दिया तो ठीक मगर खुद ज़हर पिया।

जिस दिन तेरी चिता जली, रोया था महाकाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल |

रघुपति राघव राजा राम।